फरीदाबाद : नगर निगम पोर्टल में अधिकृत कालोनियों को अनधिकृत दिखाया, लोग परेशान 

फरीदाबाद। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत प्रॉपर्टी आईडी बनवाने की प्रक्रिया नागरिकों के लिए मुश्किलों का कारण बनी हुई है। मकान मालिक का नाम बदलने से लेकर कॉलोनी की श्रेणी निर्धारण तक, हर कदम पर लोग तकनीकी और प्रशासनिक दिक्कतों से जूझ रहे हैं। हालात यह हैं कि नगर निगम के चक्कर लगाने के बावजूद लोगों को तय समय में समाधान नहीं मिल पा रहा।

नागरिकों का कहना है कि जीआईएस (ज्योग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम) पोर्टल पर कई नियमित कॉलोनियों को अनियमित श्रेणी में डाल दिया गया है। इससे प्रॉपर्टी आईडी गलत बन रही है और लोग अपने दस्तावेज सही कराने के लिए महीनों से दौड़-धूप कर रहे हैं।

नगर निगम सूत्रों के अनुसार, पोर्टल की त्रुटियों को दूर करने के लिए सरकार ने चार सदस्यों की विशेष टीम गठित की है, जिसमें आईटी विशेषज्ञ और इंजीनियर शामिल हैं। लेकिन अभी तक टीम को कंप्यूटर समेत जरूरी संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। यही कारण है कि पोर्टल पर कॉलोनियों की सीमाएं सही नहीं हो पा रही हैं।

गलत सर्वे की वजह से बढ़ा संकट

नगर निगम ने शहर का सर्वे एक निजी कंपनी से करवाया था। आरोप है कि कंपनी ने कई क्षेत्रों का सर्वे ठीक तरीके से नहीं किया, जिसके कारण हजारों प्रॉपर्टी आईडी गलत बन रही हैं और लोग लगातार शिकायतें दर्ज करा रहे हैं।

अधिकारियों का कहना है कि प्रयास जारी हैं, लेकिन रिकॉर्ड दुरुस्त होने तक प्रॉपर्टी आईडी में सुधार संभव नहीं है।

शिविर में आई 27 शिकायतें, 12 अब भी लंबित

बुधवार को नगर निगम बल्लभगढ़ ज़ोन में प्रॉपर्टी आईडी से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए विशेष शिविर आयोजित किया गया।

कुल शिकायतें 27

तत्काल समाधान 15

अधिकारियों को भेजी गईं 12
संयुक्त आयुक्त करण सिंह भदौरिया ने मौके पर ही कई शिकायतों पर निर्देश जारी किए।

गांव बड़खल के उस्मान ने तीन महीने पहले प्रॉपर्टी आईडी के लिए आवेदन दिया था। आईडी तो बन गई लेकिन उसमें उनकी बड़खल एक्सटेंशन कॉलोनी को “अनियमित” दर्शा दिया गया, जबकि यह कॉलोनी 2014 में नियमित घोषित हो चुकी है। सूचना ऑन रिकॉर्ड होने के बावजूद जीआईएस पोर्टल में गड़बड़ी के कारण सुधार नहीं हो पा रहा।

अधिकारी कहते हैं कि पोर्टल में लोकेशन गलत मैप होने तक परिवर्तन संभव नहीं।

ग्रेटर फरीदाबाद के निशांत गुप्ता ने एक बिल्डर से मकान खरीदकर सभी दस्तावेज निगम में जमा करा दिए थे।

* निगम रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज

* प्रॉपर्टी टैक्स भी उनके नाम पर जमा
* रसीदें भी उनके नाम की मिलती थीं

लेकिन हाल ही में आए नोटिस में मकान मालिक के कॉलम में फिर से बिल्डर का नाम दर्ज पाया गया। जब गुप्ता ने अधिकारियों को यह बताया, तो उन्हें रिकॉर्ड सुधरवाकर नई प्रॉपर्टी आईडी बनवाने की सलाह दी गई।

नागरिकों की मांग: जल्द दुरुस्त हो पोर्टल

लोगों का कहना है कि स्मार्ट सिटी का दावा तभी सार्थक होगा जब प्रॉपर्टी आईडी सिस्टम पूरी तरह से पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाया जाए।
जब तक जीआईएस पोर्टल की सीमाएं और डेटा ठीक नहीं होंगे, न तो प्रॉपर्टी आईडी सही बन पाएगी और न ही नगर निगम की विश्वसनीयता बहाल हो पाएगी।

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